कुछ दिनों पहले एक शे’र लिखा था-
कुछ रास्तों की मंज़िल नहीं होती
कुछ सफ़र बेमंज़िल चला करते हैं।
इम्तियाज़ अली ने एक 20 साल की लड़की के अपहरण होने की दास्तां को परत-दर-परत कई स्तरों पर उधेड़ दिया है। इस कहानी में समाज के दो हिस्सों की अपनी अपनी त्रासदी है, इंडिया और भारत के बीच खिंची लकीर है, क्रूरता के पीछे की छिपी संवेदनशीलता है तो मासूमियत और अल्हड़ता के पीछे का दर्द भी।
फिल्म आलिया भट्ट की है, और आलिया ने साबित किया है कि उनमें क्षमताएं अपार हैं। ख़ूबसूरत इतनी कि नज़रें हटती नहीं। निजी तौर पर मनीषा कोइराला के बाद इतनी ख़ूबसूरत कोई नहीं दिखी। घर के भीतर छिपे भेड़ियों की शिकार वीरा का दर्द,वेदना,त्रासदी और सपनों को आलिया ने अपने चेहरों के भावों से अंजाम दिया है।
रणदीप हुडा ने महावीर भाटी ने अपने किरदार को जीया है। उम्र में फासला, अलग स्वभाव और अलग पृष्ठभूमि होने के बावजूद भावुकता की लहरों में बहते दो शख्स अचानक एक हो जाते हैं, और जब वीरा से सीने से लिपटकर महावीर रोता है तो याद आता है जावेद अख़्तर का शे’र-
अपने महबूब में अपनी माँ को देखे
बिन माँ के बच्चों की फितरत होती है।
मित्र Hemant Mahaur के हिस्से में सिर्फ एक सीन है। लेकिन शानदार। फिल्म के दूसरे ही दृश्य में हेमंत माहौर ने आँखों में गू नहीं...वाले डायलॉग से थिएटर में तालियां बजवा दीं। Saharsh Kumar Shukla ने हमारे समाज में लड़कियों को देखकर लार टपकाने वाले लाखों नौजवानों के हरामीपन को पर्दे पर उतारा है। दोनों को बधाई ....
फिल्म में गुदगुदाने वाले सीन हैं लेकिन फिल्म भावुकता से लबरेज है। संवेदनशील है। बच्चों के घर में घटने वाली यौन हिंसा के गंभीर सवाल को उठाती है। और सोचने को मजबूर करती है कि क्या हम इस बाबत सोच पा रहे हैं और क्या इस समस्या का सामना कर पाते हैं? फिल्म देखने लायक है और अगर नहीं देखी तो देखनी चाहिए।
Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow.
मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।